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Showing posts from October, 2020

सुकून

 छोटी बिंदी रोज लगाएं दिखलाई देती हो अक्सर  मगर एक बदलाव जरूरी होता हफ्ते हर दस दिन पर नहीं जरूरी हो महरूनी लाल रंग भी अच्छा लगता  बिंदी बड़ी फबा करती है सच्ची चौड़े से माथे पर कस कर रखना रोज रोज ही बालों को क्या बहुत जरूरी है  उकता जाते होंगे यह भी सुनो बात मेरी यह पूरी मोती टपका करते हैं जब गीले बालों में से भाते  खुशबू आती है तुममे से महक जैसे मृग कस्तूरी रखी संजोकर बक्से में जो तह कर तुमने इतनी सारी  उनमें से वह छापे वाली चंपई साड़ी लगती प्यारी कभी तुम्हें जब फुर्सत हो तब सीधे पल्लू में पहनो ना  उल्टी हुई निगाहों की ये दूर करो थोड़ी दुश्वारी #सुकून💔

घर से भागी हुई लड़की

 ट्रेन के ए.सी. कम्पार्टमेंट में मेरे सामने की सीट पर बैठी लड़की ने मुझसे पूछा " हैलो, क्या आपके पास इस मोबाइल की सिम निकालने की पिन है??"  उसने अपने बैग से एक फोन निकाला, वह नया सिम कार्ड उसमें डालना चाहती थी। लेकिन सिम स्लॉट खोलने के लिए पिन की जरूरत पड़ती है, जो उसके पास नहीं थी। मैंने हाँ में गर्दन हिलाई और अपने क्रॉस बैग से पिन निकालकर लड़की को दे दी। लड़की ने थैंक्स कहते हुए पिन ले ली और सिम डालकर पिन मुझे वापिस कर दी।  थोड़ी देर बाद वो फिर से इधर उधर ताकने लगी, मुझसे रहा नहीं गया.. मैंने पूछ लिया "कोई परेशानी??" वो बोली सिम स्टार्ट नहीं हो रही है, मैंने मोबाइल मांगा, उसने दिया। मैंने उसे कहा कि सिम अभी एक्टिवेट नहीं हुई है, थोड़ी देर में हो जाएगी। एक्टिव होने के बाद आईडी वेरिफिकेशन होगा, उसके बाद आप इसे इस्तेमाल कर सकेंगी।  लड़की ने पूछा, आईडी वेरिफिकेशन क्यों??  मैंने कहा " आजकल सिम वेरिफिकेशन के बाद एक्टिव होती है, जिस नाम से ये सिम उठाई गई है, उसका ब्यौरा पूछा जाएगा बता देना" लड़की बुदबुदाई  "ओह्ह " मैंने दिलासा देते हुए कहा "इसमें कोई परे

पहला प्यार ओर अनमोल यादे

 हर इंसान के लिए अपना पहला प्यार अनमोल याद होती हैं जो वह अपनी जिंदगी भऱ अपनी यादों की संदूक में छिपाकर रखता हैं । वह वही याद है जिसे वह हर कोई से साझा नहीं करता । प्यार एक ऐसी जजबा हैं जिसे याद करने से दुख और खुशी दोनों महसूस कर सकते हैं । अक्सर हमारा पहला प्यार अधूरा रह जाता हैं और वही उस प्यार की एक अनोखी खूबी हैं । अगर हमारा पहला प्यार मुकम्मल हो जाता तो हम उसे याद नहीं करते । सालों बाद मौका मिलते ही हम उस अनुभव को उस एहसास को बार बार जीते हैं । छत पर अकेले खड़े अपने इस प्यार के बारे में सोचना और उस प्यार से जुडी निशान या किसी चीज़ को सबकी नजरों से बचाकर रखना बिना कोई मतलब अपने आप मुस्कराना – यह सब उस प्यार की निशानी हैं । पहला प्यार को लेकर हर किसी का अनुभव एक समान नहीं होता । किसी को धोखा मिला हैं तो किसी ओर को निराश । किसी का पहला प्यार एक तरफा हैं तो किसी ने अपने पहले प्यार को अपने प्यार से भी नहीं साझा किया होगा । कितना अजीब हैं न यह पहला प्यार । यह असंभव हैं कि एक ऐसे इंसान हो जिसकी जिंदगी में यह पहला प्यार ही न हो । अक्सर यह पहला प्यार एक ऐसी अद्भुत शक्ति हैं जो हमारे अंदर छ

दशहरे वाला दिन

  बात उन दिनों का है जब हम न लौंडे बने थे और न बच्चे रहे थे | पूरे कस्बे में १२ - १५ जगह देवी पंडाल सजते और शाम ६ बजे के बाद से मानों हमारी और हमारे गैंग की मौज हो जाती | कभी इस पंडाल तो कभी उस पंडाल में ६ - ८ लड़कों की टोली चक्कर लगाती | जगह जगह रात १० बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम होते, कहीं भक्ति संध्या जगराता तो कहीं फिल्मी आर्क्रेस्ट्रा | इनामी पर्चियां खरीदीं जातीं, जो कि नवमी के दिन लकी ड्रॉ से किसी को कुकर तो किसी को बर्तन सेट की सौगात दे जाती | खैर अपना किस्सा भक्ति भाव, देर रात के प्रोग्राम,प्रसाद और लकी ड्रॉ से थोड़ा ऊपर लेवल का था | समझ तो गये ही होगे आप लोग..... लड़की का चक्कर बाबू भैया, लड़की का चक्कर | वैसे तो स्कूल में चोरी छिपे मिला मिलाई हो जाता था पर भीड़ में मिलने का अानंद ही अलग था | लैंडलाईन दोनों के घर आ चुका था, निर्धारित समय पर निर्धारित देवी पंडाल में मिलना निश्चय होता और फिर हमारा गैंग हमको ढूंढता रहता | अगले दिन विद्यालय में सफाई भी पेश करनी पड़ती | खैर सिलसिला सप्तमी तक चला ,अष्टमी को किसी पंडाल में फिल्मी लड़कियों का डांस प्रोगाम में जबरदस्ती रात को चुपके से