दशहरे वाला दिन

 

बात उन दिनों का है जब हम न लौंडे बने थे और न बच्चे रहे थे | पूरे कस्बे में १२ - १५ जगह देवी पंडाल सजते और शाम ६ बजे के बाद से मानों हमारी और हमारे गैंग की मौज हो जाती | कभी इस पंडाल तो कभी उस पंडाल में ६ - ८ लड़कों की टोली चक्कर लगाती | जगह जगह रात १० बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम होते, कहीं भक्ति संध्या जगराता तो कहीं फिल्मी आर्क्रेस्ट्रा | इनामी पर्चियां खरीदीं जातीं, जो कि नवमी के दिन लकी ड्रॉ से किसी को कुकर तो किसी को बर्तन सेट की सौगात दे जाती | खैर अपना किस्सा भक्ति भाव, देर रात के प्रोग्राम,प्रसाद और लकी ड्रॉ से थोड़ा ऊपर लेवल का था | समझ तो गये ही होगे आप लोग..... लड़की का चक्कर बाबू भैया, लड़की का चक्कर |

वैसे तो स्कूल में चोरी छिपे मिला मिलाई हो जाता था पर भीड़ में मिलने का अानंद ही अलग था | लैंडलाईन दोनों के घर आ चुका था, निर्धारित समय पर निर्धारित देवी पंडाल में मिलना निश्चय होता और फिर हमारा गैंग हमको ढूंढता रहता | अगले दिन विद्यालय में सफाई भी पेश करनी पड़ती | खैर सिलसिला सप्तमी तक चला ,अष्टमी को किसी पंडाल में फिल्मी लड़कियों का डांस प्रोगाम में जबरदस्ती रात को चुपके से घसीट के ले जाये गये टोली द्वारा, १ बजे जैसे जैसे रात जवान होती गई प्रोग्राम का रुख भी बदलता गया, भीड़ भी आपे से बाहर हो चुकी थी, अचानक हमारे कंधे पर किसी का हाथ पीछे से पड़ा, मुड़ कर देखा तो हमारा मूत निकल गया | गणित वाले सर जी के साथ ही वो हमारी उनके पापा भी थे | थूंक गटक कर पैर छुये और पूरी गैंग ने सरपट दौड़ लगाई | अगले दिन स्कूल में दो लड़कों की पेट दर्द की वजह से अनुपस्थिति थी, एक की नानी मर गईं और एक रात में दौड़ते समय वाकई में गिर गया था, बचे अकेले हम.... ज्यों ज्यों गणित का घंटा नजदीक आ रहा था हमारी सांसें नीचे से नकल रहीं थीं | पता नहीं आज कहां मुर्गा बनाया जायेगा | अगर बीच फील्ड में बना दिये तो क्या इज्ज़त रह जायेगा तिवारी जी के लड़के की, लड़की लोग खी खी करके हंसेगा | खैर गणित का घंटा आया, किसी ने जोर से ठहाका लगा के बताया कि गणित वाले गुरू जी बुखार की वजह से आज छुट्टी पर हैं | तुरंत हमारी सांतवीं इन्द्रिय ने झटका दिया कि अबे साला तुम अकेले थोड़े ही ठुमके देख रहे थे, गुरू जी भी तो थे | अगर वो हमारा बाल बांका करेंगें तो उस्तरा तो हमारे पास भी है |

दशहरा बाद गुरू जी सब भुला गये और सब सामान्य हो गया | किताब कापी का हम दोनों का लेन देन जरूर बंद हो गया | शायद गुरू जी ही बोले होंगें कि एक दम बरबाद लड़का है उससे बात न किया करो | हम तो सम्मान वश चुपा गये वर्ना दोनों जानते थे कि कौन ज्यादा बर्बाद " लड़का " है |

किस्सा थी सो खत्म हो गई |

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