एक स्त्री

 क्या आपने कभी स्त्रियों की मनोदशा समझने का प्रयास किया है उन स्त्रियों की व्यथा जिनका चंचल स्वभाव व अल्हड़ता उनके लिए जीवन में एक समय के बाद पग पग पर समस्याओं का कारण बन जाती है।


यह स्त्रियां पुरुषों पर लिखा करती हैं उनके जीवन के दुखों पर प्रभावशाली लेखन अनेकों बार इनको अनर्गल आरोप सुनवा देता है पर यह तब भी पुरुषों के प्रति अपने निश्छल कर्तव्य का पालन करती रहती हैं।


यह स्त्रियां पुरुषों के साथ सहज होती हैं पुरुषों के हास्य का जवाब उसी भाषा में देने के कारण हर पुरुष इनकी व्याख्या आदर्श नारी हर प्रकार के विचारों से समृद्ध नारी के रूप में करता है उसको ऐसी ही प्रेमिका चाहिए परन्तु सम्बंध में बंध जाने के बाद पता नहीं अनायास ही ऐसा क्या होता है की पुरुष को उस स्त्री की वह प्रकृति नयनों में पीड़ा देने लगती है।


अब स्त्री है तो सम्बंध बचाए रखने के लिए अपमान भी सह लेगी कर लेगी आत्मसम्मान से समझौता किंतु मुद्दा यहीं नहीं थमता पुरुष अब उसको अपने हिसाब से ढालना चाहता है स्त्री की जिन विशेषताओं पर वह मोहित हुआ था अब वही उसकी सबसे बड़ी शत्रु बन जाती हैं।


यह स्त्रियां जब प्रेम लिखती हैं तब हर दूसरा पुरुष उस प्रेम को स्वयं को समर्पित मानकर प्रशंसा करने आ जाता है परन्तु जब अपने हृदय की वेदना लिखती हैं तब कोई नाम के लिए भी नहीं पूछता की "क्या हुआ तुम ठीक तो हो न" इसलिए कभी कभी मन के भाव लिखना तो दूर वे मित्रों से भी साझा नहीं करती।


मैं सभी पुरुषों पर कटाक्ष नहीं कर रहा स्वयं एक पुरुष हूं और यह लिख रहा हूं किंतु जब आज के समय में इस प्रकार के दोहरे मापदंड देखता हूं तो मन अशांत हो जाता है जब अविरल पछुआ हवा सी बहती स्त्री को क्षीरसागर सा शांत देखता हूं तब यह सब प्रश्न आना स्वभाविक है, विचार कीजिएगा यदि यह व्यवहार इन स्त्रियों को अपने अपने जीवन में बार बार अनुभव करना पड़ा तो भविष्य में आप फिर कभी इस प्रकार का व्यक्तित्व नहीं देख पाएंगे।


~ अनजाना

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